Piru Singh Shekhawat Biography in Hindi | पीरू सिंह शेखावत की जीवनी,वीरता के किस्से, मैडल,हिंदी में
Piru Singh Shekhawat Biography in Hindi: भारत माता के वीर सपूत श्री पीरू सिंह शेखावत (Piru Singh) जो अपनी उत्कृष्ट वीरता तथा अदम्य शौर्य के लिए जाने थे। कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत सन् 1936 से 1948 तक एक भारतीय सैनिक के रूप में कार्यरत रहे। सन् 1948 में भारत – पाक युद्ध के दौरान इस वीर सपूत का निधन हो गया। अपने सैनिक जीवन काल में उन्होंने काफी बाहदूरी का कार्य किया था।
श्री पीरू सिंह शेखावत ने अपने देश की खातिर अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनके वीरता एवं अदम्य शौर्य के लिए उनके मरणोपरांत सन् 1952 में उन्हे परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। परमवीर चक्र शत्रु के सामने वीरता प्राप्त करने के उपलक्ष्य मे प्रदान किया जाता है। यह सर्वश्रेष्ठ पुरुषकारों में से एक है, जिसे सैनिक सम्मान मे दिया जाता है। आज के इस पोस्ट में आप जानेगें पीरू सिंह शेखावत की जीवनी हिन्दी मे , तो दोस्तों पढ़ना जारी रखिये
Piru Singh Shekhawat Biography in Hindi: Overview
नाम | पीरू सिंह शेखावत |
प्रसिद्ध नाम | कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत |
पिता का नाम | ठाकुर लालसिंह शेखावत |
मां का नाम | श्रीमती जडाव कंवर |
जन्म की तारीख | 20 मई 1918 |
मृत्यु तिथि | 18 जुलाई 1948 |
जन्म स्थान | झुंझुनू, राजस्थान |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
पेशा | भारतीय सैनिक |
पदक | परम वीर चक्र |
Piru Singh Shekhawat Biography in Hindi | कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत के बारे में जानकारी
पीरू सिंह शेखावत जीवनी: पीरू सिंह शेखावत का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले के बेरी गाँव मे ठाकुर लाल सिंह के जी के यहाँ हुआ था। ठाकुर लाल सिंह के सात संतान थी। जिनमे तीन बेटे और चार बेटीयां थी। पीरू सिंह शेखावत परिवार में सबसे छोटे थे। वह बचपन से ही बहुत सरारती थे, उन्हे खेलना कुदना बहुत पसंद था।
पीरू सिंह की पढ़ाई मे रुचि कम थी, वह स्कूल को एक जेल के समान मानते थे । उन्हे एक स्थानीय खेल शिखर बहुत पसंद था । पीरू सिंह बचपन से ही सेना मे भर्ती होना चाहते थे, लेकिन उनकी उम्र कम होने के कारण उन्हे निकाल दिया जाता था । लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक दिन सेना मे भर्ती हो गए ।
भारतीय सेना मे उन्होंने अपने वीरता के किस्से लिखे है । वह आज भी भारतीय सैनिकों के लिए एक प्रेरणा का श्रोत है । उनकी कहानी सुनकर आपकी अंतरात्मा जाग्रत हो जाएगी । अतः पीरू सिंह शेखावत के बारे मे अधिक जानकारी उपलब्ध करने हेतु पोस्ट को पूरा पढ़ें ।
पिरु सिंह शेखावत सैन्य जीवन | Piru Singh Shekhawat Military Life
पिरु सिंह शेखावत सैन्य जीवन: काफी कोशिशों के बाद पीरू सिंह शेखावत को 20 मई 1936 को झेलम में पंजाब रेजिमेंट की 10वीं बटालियन में नामांकित किया गया था | इसके बाद उन्हे प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया । प्रशिक्षण पूरा होने के बाद 1 मई 1937 को पीरू सिंह को उसी रेजिमेंट की 5वीं बटालियन में तैनात किया गया था । प्रारंभ से ही शिक्षा से नाराजगी होने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई से नाता जोड़ा और सेना मे शिक्षा से संबंधित कई प्रमाण पत्र प्राप्त किये ।
इसके बाद उन्हे 7 अगस्त 1940 को लांस नायक के पद पर पदोन्नत किया गया । पंजाब की 5वीं बटालियन के साथ अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उत्तर-पश्चिम फ्रंटियर पर कार्रवाई की एवं मार्च 1941 में उन्हें नायक के पद पर पदोन्नत किया गया । इसके बाद उन्हे झेलम में पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के एक प्रशिक्षक के रूप में तैनात किया गया था । इसके बाद पीरू सिंह शेखावत को फरवरी 1942 में एक हवलदार के पद पर पदोन्नत किया गया ।
पीरू सिंह शेखावत एक उत्कृष्ट खिलाड़ी थे, उन्होंने अंतर रेजिमेंटल और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में हॉकी, बास्केटबॉल और क्रॉस कंट्री दौड़ में अपनी रेजिमेंट का प्रतिनिधित्व किया था । इसके बाद मई 1945 में उन्हें कंपनी हवलदार मेजर से पदोन्नत किया गया । श्री सिंह ने अक्टूबर 1945 तक एक प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया एवं द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद उन्हें ब्रिटिश कॉमनवेल्थ ऑक्यूपेशन फ़ोर्स के हिस्से के रूप में जापान भेजा गया । जहां उन्होंने सितंबर 1947 तक सेवा दी, इसके बाद उन्हें राजपूताना राइफल्स की छठी बटालियन में स्थानांतरित कर दिया गया ।
1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पीरू सिंह शेखावत की भूमिका | Piru Singh Shekhawat Biography
Piru Singh Shekhawat Biography (भारत- पाक युद्ध ): 18 जुलाई 1948 को राजपूताना राइफल्स की छठी बटालियन में सी एच एम पीरू सिंह को जम्मू कश्मीर के तिथवाल में शत्रुओं द्वारा अधिकृत एक पहाड़ी पर आक्रमण कर उस पर कब्ज़ा करने का काम सौंपा गया । वह हमेशा की तरह बहादुरी के साथ युद्ध के लिए तैयार हुए , हमले के दौरान उन पर एम एम जी से भारी गोलीबारी की गई और कई हथगोले भी फेंके गए उनकी टुकड़ी के आधे से ज्यादा सैनिक मारे गए और कुछ घायल हो गए ।
पीरू सिंह शेखावत (Piru Singh) ने अपने बचे हुए जवानों को युद्ध जारी रखने के लिए प्रेरित किया तथा घायल होने के बावजूद वे लगातार अपने साथियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे । इसके अलावा वह स्वयं भी अपने प्राणों की परवाह न करते हुए आगे बढ़ते रहे।
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दुश्मनों का सामना करते करते अन्त में वह उस स्थान पर पहुंच गए जहां मशीन गन से गोले बरसाए जा रहे थे । Piru Singh अपनी स्टेनगन से दुश्मन के सभी सैनिकों को गोलियों से छलनी कर दिया, जिससे दुश्मन के गोले बरसने बन्द हो गए । इसके अलावा उन्होंने दुश्मन के एम एम जी युक्त दो बंकरों को भी बर्बाद कर दिया था ।
इस बीच लड़ते लड़ते उनके सभी साथी अपने प्राण गवां चुके थे, अचानक उन्हें पता चला कि उनकी टुकड़ी में इकलौते वे ही जीवित बचे हैं तो वह थोड़े दिशाभूल हो गए । तभी दुश्मनों ने Piru Singh पर एक और हथगोला फेंका, जिससे वह घायल हो गए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लहुलुहान चेहरे के साथ रेंगते हुए आगे बढ़े । पीरू सिंह पूरी तरह से घायल हो चुके थे, लेकिन अंतिम सांस लेने से पहले उन्होंने दुश्मन के सभी ठिकानों को नष्ट कर दिया था । उस वीर सपूत ने देश के खातिर स्वयं को कुर्बान कर देश की आजादी की रक्षा की ।
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अपनी उत्कृष्ट वीरता तथा अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करने और सर्वोच्च बलिदान देने के कारण कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत को इस वीरता पूर्ण कार्य पर भारत सरकार ने मरणोपरान्त “परमवीर चक्र” प्रदान कर उनकी बहादुर का सम्मान किया । पीरू सिंह शेखवात की ओर से यह सम्मान उनकी मां ने राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के हाथों ग्रहण किया ।
(परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले हवलदार मेजर पीरूसिंह राजस्थान के पहले व भारत के दूसरे परमवीर चक्र विजेता सैनिक थे)
परमवीर पीरू सिंह शेखावत जैसे सैनिको की वीरता की कहानियां सीमा पर जाने वाले हमारे सैनिकों में एक नया जोश भरने एवं भारत माता की रक्षा करते हुए मर मिटने की प्रेरणा देती है ।
निष्कर्ष (conclusion)
पीरू सिंह शेखावत की जीवनी आपको पसंद आई, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। और आपके क्षेत्र मे से ऐसे ही वीर व्यक्ति वाले महापुरुष के बारे में मे हमें बताएं । हम आपकी भावनाओ की कदर करते हैं। इसलिए आपके द्वारा दी गई जानकारी को एक बार जांच के बाद जल्द से जल्द पोस्ट करने का प्रयास किया जाएगा। इसलिए अपने क्षेत्र के महापुरुषों के बारे में जानकारी हमारे साथ साझा बेशक करें।
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