पर्यावरण (Environment) क्या है? किसी भी जीवित प्राणी के चारों ओर पाए जाने वाले लोग, स्थान, वस्तुएँ एवं प्रकृति को पर्यावरण कहते है । यह प्राकृतिक एवं मानव निर्मित परिघटनाओ का मिश्रण है । प्राकृतिक पर्यावरण मे पृथ्वी पर पाई जाने वाली जीवीय एवं अजीवीय दोनों परिस्थितियाँ सम्मिलित है । जबकि मानवीय पर्यावरण मे मानव की परस्पर क्रियाएं, उनकी गतिविधियां एवं उनके द्वारा बनाई गई रचनाएं सम्मिलित है ।
पर्यावरण यानी एनवायरनमेंट शब्द की उत्पति फ्रेंच शब्द एनवायरोनेर या एनवायरोन्नेर से हुई है, जिसका अर्थ है ‘पड़ोस’।
पर्यावरण का हमारे जीवन में क्या महत्व है? पर्यावरण (Environment) हमारे जीवन का मूल आधार है । यह हमे सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए जल, खाने के लिए भोजन एवं रहने के लिए भूमि प्रादन करता है । पर्यावरण का अध्यन हम मुख्यतः प्राकृतिक पर्यावरण एवं मानवीय पर्यावरण अर्थात मानव निर्मित पर्यावरण के रूप मे करते है, जिन्हे पर्यावरण के घटक कहते है ।
प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ।
प्राकृतिक पर्यावरण:
हमारे चारों और उपस्थित भूमि, जल, वायु, पेड़ – पौधे एवं जीव – जन्तु मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण करते है । जिन्हे सुविधा की दृष्टी हम स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल एवं जैवमंडल के रूप मे पढ़ते है ।
स्थलमंडल: पृथ्वी की ठोस पर्पटी या कठोर ऊपरी परत को स्थलमंडल कहते है । यह चट्टानों एवं खनिजों से बना होता है एवं मिट्टी की पतली परत से ढँका होता है । यह पहाड़, पठार, मैदान, घाटी आदि जैसी विभिन्न स्थलाकृतियों वाला विषम धरातल होता है । ये स्थलाकृतियां महाद्वीपों के अलावा महासागर की सतह पर भी पाई जाती है ।
स्थलमंडल वह क्षेत्र है जो हमे वन, कृषि एवं मानव बस्तियों के लिए भूमि, पशुओं को चरने के लिए घासस्थल प्रदान करता है । इसके अलावा यह खनिज संपदा का भी एक अच्छा स्त्रोत है ।
जलमंडल: जल के विभिन्न क्षेत्र जलमंडल का निर्माण करते है । यह नदी, झील, समुद्र, महासागर आदि जैसे विभिन्न जलाशयों से मिलकर बनता है । यह सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है ।
वायुमंडल: पृथ्वी के चारों ओर फैली वायु की पतली परत को वायुमंडल कहते है । पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अपने चारों ओर के वायुमंडल को थामे रखता है । यह सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों से हमारी सहायता करता है । इसमे कई प्रकार की गैस, धूल कण एवं जलवाष्प उपस्थित रहते है । वायुमंडल मे परिवर्तन होने से मौसम एवं जलवायु मे परिवर्तन होता है ।
जैवमंडल: पादप एवं जीव जन्तु मिलकर जैवमंडल या सजीव संसार का निर्माण करते है । यह पृथ्वी का वह संकीर्ण क्षेत्र है, जहां स्थल, जल एवं वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते है ।
मानवीय पर्यावरण
मानवीय पर्यावरण: मानव अपने पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करता है और उसमे अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करता है । प्रारम्भिक मानव ने स्वयं को प्रकृति के अनुरूप बना लिया था । उनका जीवन सरल था एवं आस पास की प्रकृति से उनकी जरुत पूरी हो जाती थी । समय के साथ कई प्रकार की जरुतें बढ़ी । मानव ने पर्यावरण के उपयोग और उसमे परिवर्तन करने के कई तरीके सीख लिए । उसने फसल उगाना, पशु पालन एवं स्थाई जीवन जीना सीख लिया । पहिये का आविष्कार हुआ, आवश्यकता से अधिक अन्न उपजाया गया, वस्तु विनिमय पध्दति का विकास हुआ, व्यापार आरंभ हुआ एवं वाणिज्य का विकास हुआ । औद्योगिक क्रांति से बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रारंभ हो गया । परिवहन तेज गति से प्रारंभ हुआ । सुचना क्रांति से पूरे विश्व मे संचार, सहज और द्रुत हो गया । अतः मानव ने अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए जो कार्य किये है वे मानवीय पर्यावरण के अंतर्गत आते है ।
Ex:- उद्योग, पुल, सड़क, पार्क etc.
वस्तु विनिमय पध्दति: वस्तुओं के बदले वस्तुओं का आदान प्रदान जिसमे धन का प्रयोग नहीं होता ।
पारितंत्र : वह तंत्र जिसमे समस्त जीवधारी आपस मे एक दूसरे के साथ तथा पर्यावरण के उन भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ परस्पर क्रिया करते है जिसमे वे रहते है । ये सब ऊर्जा और पदार्थ के स्थानांतरण द्वारा सम्बद्ध है ।