How To Learn Of History | इतिहास को कैसे समझें
इतिहास (History) का विषय जब भी जहन में आता है। हम अतित में पहुंच जाते हैं अथवा जब भी हम किसी पौराणिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में बात करें रहें होते हैं तो हम अतित में पहुंच जाते हैं और बस हमारे अंदर एक ही धुन सवार होने लगती है कि आखिर ये अतित या इतिहास है क्या, कैसे इसकी रचना हुई एवं इसे पढ़ना क्यू जरूरी है आदि सवाल हम अपने आप से करने लग जाते हैं तो आज हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए जानते हैं।
अतित या इतिहास क्या है |What is History in hindi
जैसा कि आप सभी लोगों को पता है जो कोई भी घटना आज घट रही है कुछ समय बाद वह घटना एक भूतकाल का रूप ले लेती हैं। और हम उस घटना को बिते हुए कल में गिनने लग जाते हैं। और जैसे-जैसे यह समयावधि एक लम्बा अंतराल धारण कर लेती है तो वह अतित के नाम से जाना जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब कोई घटना घटित होती है और उस घटना को बीते हुए कई हजारों वर्ष बीत जाते हैं तो वह अतित कहलाती है।
अतित को हमने समय के साथ प्रस्तुत किया है अतः समय को हम ‘काल’ भी बोलते है,अतित को जानने के कई आयाम है। अतः समझने कि दृष्टि से इसे हम कुछ भागों में बांटते हैं जैसे:
1. प्राकैतिहासिक काल
2. आद्य ऐतिहासिक काल
3. इतिहास काल
1. प्राकैतिहासिक काल
यह वह समय है जब मानव ने पृथ्वी पर जन्म लिया एवं उस समय शिक्षा के अभाव के कारण कुछ भी उद्वेलित नहीं कर पाये एवं ना ही अतित को संजोकर रख पाए अर्थात “मानव काल के उस काल को प्रागैतिहासिक काल कहते हैं जिसका विवरण लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है।”
2. आद्य ऐतिहासिक काल
अतित में इस समय तक आते आते मानव ने लेखन कला का ज्ञान अर्जित कर लिया अर्थात इस काल में मानव कुछ शिक्षित हो गया और उसने अपने काल के समय के कुछ लेख उत्कीर्ण किये थे अतः मानव काल के उस काल को आद्य ऐतिहासिक काल कहते हैं जिसमें मानव के लिखे लेख तो मिलें लेकिन उन्हें पढा न जा सका।
3. इतिहास काल
इस काल तक आते आते मानव पूर्ण रूप से शिक्षित हो गया एवं उसने अपने काल में कई भाषाओं एवं लिपियों में लेख लिखे थे अतः मानव अतित के उस काल को इतिहास काल कहते हैं जिसका विवरण लिखित रूप में उपलब्ध है एवं इसकी भाषा एवं लिपियों को पढ़कर समझा जा सकता है।
भारतीय इतिहास को अध्ययन की सुविधा अनुसार तीन काल खंडों मे बांटा गया है । प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत एवं आधुनिक भारत इन तीनों का विवरण इस प्रकार है :
सबसे पहले इतिहास को तीन भागों मे विभाजित करने का कार्य जर्मन इतिहासकार क्रिस्टोफ़ सेलियरस ( Christoph cellarius ) ने किया था ।
भारतीय इतिहास
- प्राचीन भारत
- मध्यकालीन भारत
- आधुनिक भारत
प्राचीन भारत ( Ancient history)
- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
- प्रागैतिहासिक काल
- सिंधु सभ्यता
- वैदिक सभ्यता
- महाजनपदों का उदय
- जैन धर्म
- बौद्ध धर्म
- शैव धर्म
- वैष्णव धर्म
- इस्लाम धर्म
- ईसाई धर्म
- पारसी धर्म
- मगध राज्य का उत्कर्ष
- सिकंदर
- मौर्य साम्राज्य
- ब्राह्मण साम्राज्य
- भारत के यवन राज्य
- शक
- कुषाण
- संगम युग
- गुप्त साम्राज्य
- वाकाटक राजवंश
- पुष्यभूति वंश / वर्द्धन वंश
- दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश
- सीमावर्ती राज्यों का अभ्युदय
- राजपूत राजवंशों की उत्पत्ति
यह भी देखे: ईसा पूर्व एवं ईसवी मे क्या अंतर है
मध्यकालीन भारत ( Medieval India )
- भारत पर अरबों का आक्रमण
- महमूद गजनी
- मुहम्मद गौरी
- सल्तनत काल
- वियनगर साम्राज्य
- बहमनी राज्य
- स्वतंत्र प्रांतीय राज्य
- सूफी आंदोलन
- भक्ति आंदोलन
- मुगल साम्राज्य
- मुगल शासन व्यवस्था
- मराठों का उत्कर्ष
आधुनिक भारत (Modern india)
- उत्तरकालीन मुगल सम्राट
- भारत मे यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों का आगमन
- बंगाल पर अंग्रेजों का आधिपत्य
- अंग्रेजों के मैसूर से संबंध
- सिक्ख एवं अंग्रेज
- कंपनी के अधीन गवर्नर जेनरल
- अंग्रेजी शासन के विरुद्ध महत्वपूर्ण विद्रोह
- 1857 ई. की महान क्रांति
- 1857 ई. की महान क्रांति के प्रमुख केंद्र
- भारत का स्वतंत्रता संघर्ष: महत्वपूर्ण तथ्य
- भारतीय धार्मिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण संगठन एंव संस्थाएं
- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण आंदोलन एवं घटनाएं
- भारत के महान शहीद
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित प्रमुख वचन एकन नारे
- स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित प्रकाशित पत्र, पत्रिकाएं एवं पुस्तकें
- उपाधि प्राप्तकर्ता एवं दाता
- कॉंग्रेस अधिवेशन: कब और कहाँ
- ब्रिटिशकालीन आयोग या समितियाँ
- भारतीय प्रेस का विकास
- भारत की ऐतिहासिक लड़ाइयाँ
- प्रमुख राजवंश, संस्थापक तथा राजधानी
- सामाजिक सुधार अधिनियम
- मुस्लिम सामाजिक धार्मिक आंदोलन और संगठन